रामचरित मानस

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* कठिन कुसंग कुपंथ कराला। तिन्ह के बचन बाघ हरि ब्याला॥ गृह कारज नाना जंजाला। ते अति दुर्गम सैल बिसाला॥4॥ भावार्थ:-घोर कुसंग ही भयानक बुरा रास्ता है, उन कुसंगियों के वचन ...

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